Monday 17 December 2012

मुझे अँधेरा पसंद है। -1 ( The Traveller and the Magician )


इस रास्ते को भूख लगी,
तोह  बेचारा खाना खाने चला आया,
निम्बू निचोड़, प्यास और किशमिश बिखेर,..खाली ज़िन्दगी थोड़ी सी ,
पर फिर से भूखी ही रह गयी ज़िन्दगी थोड़ी सी।

कई कीमतें यहाँ सवार करती है,
कए राज  यहाँ मोती बन चिप जाते है, और सूरज किरण संग यहाँ वहां घुमा करते है,
अनपढ़ गवार भी येही राह है,
तोह पोथी पंडित विद्वान् भी येही राह है,
गरीब फ़क़ीर भी येही राह है,
और पैसों से छलका  प्याला भी येही राह है,


पानी भी इसी राह में चिप है,
और येही रास्ता पानी में चिप है,
कही कोई आस बन लावारिस यहाँ पड़ा है ये रास्ता ,
तोह कोई लोकप्रिय भी है येही रास्ता,..

रास्ता सभी ऒर से गुजरता है,
और सभी को इसी राह  से गुजरते है।
कहानी अधूरी भी येही रास्ता, कहानी पूरी भी येही है रास्ता।

कही नयी आशाए है ये रास्ता, तोह सारे पुर्नाविरामों का जनाज़ा भी येही रास्ता है।।।
ज़िन्दगी ,..
ज़िन्दगी है ये रास्ता,.. ये रास्ता है ज़िन्दगी।।।।

No comments:

Post a Comment